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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ‘शंकर पार्वती छाप’ नाम से बीड़ी की ब्रांडिंग को चुनौती देने वाली याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि याचिकाकर्ता जनहित याचिका के बजाय उचित माध्यमों से कानूनी सहायता प्राप्त करे।मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की पीठ ने याचिकाकर्ता आदर्श कुमार की याचिका बुधवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि धार्मिक भावनाओं की रक्षा करने की आड़ में इस जनहित याचिका पर विचार करने का कोई वैध कारण नहीं है। जनहित याचिका के जरिए तंबाकू निर्माता को एक धार्मिक प्रतीक के साथ ‘शंकर पार्वती छाप’ नाम से बीड़ी की बिक्री रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता ने अदालत में दलील दी थी कि देवी-देवताओं के नाम पर बीड़ी की बिक्री से उसकी धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं इसलिए प्रतिवादी को ऐसा करने से रोका जाए

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