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अमेरिका में ट्रम्प राज के साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं। डीईआई (विविधता, समानता और समावेश) प्रोग्राम पर रोक के आदेशों से 1 लाख भारतीयों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने डीईआई भर्तियों पर रोक लगाकर सभी डीईआई कर्मचारियों को 31 जनवरी तक पेड लीव पर भेज दिया है। यह कदम ट्रम्प द्वारा डीईआई कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करने के ठीक एक दिन बाद आया है। सोमवार को पत्रकारों के साथ एक ब्रीफिंग कॉल पर, एक अधिकारी ने वादा किया कि कार्यकारी आदेश डीईआई नौकरशाही को खत्म कर देगा, और इसमें पर्यावरण न्याय कार्यक्रम, इक्विटी से संबंधित अनुदान, इक्विटी कार्य योजना, इक्विटी पहल शामिल हैं। व्हाइट हाउस ने संघीय अनुबंध में डीईआई के उपयोग को समाप्त करने और संघीय एजेंसियों को निजी क्षेत्र के भेदभाव का लगातार मुकाबला करने का निर्देश देने के आदेश के लिए मंगलवार को एक तथ्य पत्र भी जारी किया।अमेरिका में 1960 से सभी वर्गों को रोजगार, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में समान अवसर देने के लिए डीईआई प्रोग्राम शुरू किया गया था। ये तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी और मार्टिन लूथर किंग के आदशों से प्रेरित है।फेडरल और राज्यों की सरकारें धार्मिक और नस्लीय अल्पसंख्यकों को रोजगार देती हैं। महिलाओं, दिव्यांगों, थर्ड जेंडर को भी इससे जॉब मिलते हैं। सभी सरकारी विभागों में एक निश्चित कोटा होता है। अमेरिका के डीईआई प्रोग्राम को भारत में विभिन्न वर्गों के लिए लागू आरक्षण व्यवस्था के समकक्ष कह सकते हैं।अमेरिका में प्राइवेट सेक्टर को भी डीईआई प्रोग्राम में जॉब देना अनिवार्य है। मेटा, बोइंग, अमेजन, वॉलमार्ट, टारगेट, फोर्ड, मोलसन, हार्ले डेविडसन व मैकडोनाल्ड ने डीईआई बंद करने का ऐलान किया है।

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