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सनातन धर्म में मंदिर के दर्शन करने का विशेष महत्व माना जाता है। मंदिर में सभी देवी-देवताओं की पूजा करने का तरीका व मान्यताएं अलग-अलग हैं। कई मंदिर बेहद प्राचीन हैं, तो वहीं कई मंदिर प्राचीन होने के साथ अपने साथ रहस्यों को समेटे हुए हैं। वैसे भी भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है। मंदिरों में आपको विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमा या मूर्ति देखने को मिलेंगी। ऐसे में आज हम आपको बिहार के सिवान जिले में स्थित महेंद्रनाथ बाबा की रहस्यमई कहानी और इस मंदिर के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर द्वापरकालीन युग है। तो आइए जानते हैं इस मंदिर का महत्व और रहस्यमय कहानी के बारे में.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, महेंद्रनाथ बाबा का मंदिर नेपाल के राजा महेंद्र वीर विक्राम शाहदेव के नाम पर पड़ा है। नेपाल के राजा महेंद्र वीर को कोढ़ की बीमारी हो गई थी। कुछ लोग इस रोग को बहुत घातक बता रहे थे और कहा जा रहा था कि यह बीमारी कभी ठीक नहीं होती है। ऐसे में राजा महेंद्र कोढ़ के इलाज के लिए बनारस पहुंचे, लेकिन यहां से भी बीमारी ठीक न होने की वजह से वह निराश मन से नेपाल वापस लौट रहे थे। नेपाल लौटने के दौरान वह मेंहदार पहुंचे, तो बहुत रात हो चुकी थी। ऐसे में उन्होंने मेंहदार में ही रात्रि विश्राम का निर्णय लिया। मेंहदार में एक तालाब भी था।

राजा और उनके साथ आने वाले सभी लोग उसी तालाब के किनारे आराम करने लगे। तभी राजा को रात्रि में भगवान शिव का स्वप्न आया कि परेशान मत हो और जिस तालाब के किनारे सोए हो, सुबह उठकर उसी तालाब में स्नान करना, इससे तुम्हारी बीमारी ठीक हो जाएगी। स्नान के बाद तालाब के किनारे शिवलिंग होगी, वहीं पर जल चढ़ाना। साथ ही बीमारी ठीक होने के बाद यहां पर शिवायल का निर्माण कराना। इससे तुम्हारी सारी परेशानी दूर हो जाएंगी।

दर्शन का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक महेंद्रनाथ बाबा की मंदिर में जो भी व्यक्ति भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और निसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। वहीं मंदिर में दर्शन करने मात्र से चर्म और कुष्ठ रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है।

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