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कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया। आजकल लोग अपने परिवार को बढ़ाते हैं। हमने भी कर्पूरीजी से सीखकर परिवार में किसी को नहीं बढ़ाया. हम हमेशा दूसरे को बढ़ाते हैं।” कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर जनवरी 2024 को नीतिश कुमार के दिए इस बयान ने ही जदयू और आरजेडी के अलग होने की पटकथा लिखी थी। जिसके बाद लालू की बेटी रोहिणी ने एक्स पोस्ट के जरिए नीतीश कुमार पर निशाना साधा था। बाद में जो हुआ वो हम सभी को पता ही है। ये बैकग्राउंड बताने का सीधा सा मतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) सर्वेसर्वा नीतीश कुमार हमेशा से वंशवाद की राजनीति के आलोचक रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के खिलाफ अक्सर तंज कसते हुए उन्हें कहते सुना जाता रहा है कि उन्हें केवल परिवार को बढ़ावा दिया है। कुमार अक्सर यह भी कहते थे कि बिहार उनका परिवार है। लेकिन अब, विधानसभा चुनाव से पहले जद (यू) एक राजनीतिक उत्तराधिकारी के स्वागत की तैयारी कर रही है। सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर मिल रही है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के होली के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल होने की संभावना है। सीएम के करीबी जद (यू) सूत्र के हवाले से दावा किया जा रहा है कि केवल नीतीश कुमार से हरी झंडी मिलने की देरी है। सूत्र बताते हैं कि नीतीश को निशांत के राजनीति में प्रवेश के बारे में पार्टी कार्यकर्ताओं की लगातार बढ़ती मांग के बारे में बताया गया।पिछले साल से ही निशांत का नाम जद (यू) के भीतर चर्चा में रहा है। कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने निशांत को पार्टी में शामिल करने की मांग  उठाई। हालाँकि, वरिष्ठ नेताओं ने इसे खारिज कर दिया लेकिन निशांत का नाम अभी भी नियमित अंतराल पर सामने आता रहा। हालांकि जद (यू) के वरिष्ठ पदाधिकारी खुले तौर पर इस मामले पर बोलने से बचते रहे हैं। 8 जनवरी को अपने पिता के साथ निशांत स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों का अनावरण करने के लिए अपने गृहनगर बख्तियारपुर गए। कार्यक्रम से इतर, अपने पिता से कुछ ही कदम की दूरी पर उन्होंने संवाददाताओं से कहा यदि यह संभव है, तो कृपया जद (यू) और मेरे पिता को वोट दें और उन्हें फिर से जीताएं। यह पार्टी के लिए उनकी सार्वजनिक अपील थी। इससे पहले, उन्हें आखिरी बार 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह के समय एक राजनीतिक समारोह में देखा गया था। जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने निशांत के राजनीति में शामिल होने के बारे में कुछ संकेत दिए थे। श्रवण कुमार ने कहा था कि हम उनके (निशांत के) बयान का स्वागत करते हैं। उन्हें मौजूदा सरकार की अच्छी समझ है। यह पूछे जाने पर कि क्या निशांत को राजनीति में आना चाहिए? इसके जवाब में नीतीश के गृह जिले नालंदा से आने वाले बिहार सरकार के मंत्री ने कहा था कि बेशक, ऐसे प्रगतिशील विचारों वाले युवाओं का राजनीति में स्वागत है। फैसला सही समय पर लिया जाएगा। हालांकि जद (यू) ने आधिकारिक तौर पर इस मामले पर बात नहीं की, लेकिन पार्टी के कई नेता ने दबी जुबान से उनके राजनीति पर्दापण की बात कहते नजर आते हैं।लालू प्रसाद ने 2013 में अपने बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को पार्टी के अगले नेता के रूप में पेश किया था। लगभग उसी समय राम विलास पासवान ने भी अपने बेटे चिराग को पेश किया था। वह चिराग ही थे जिन्होंने 2014 के चुनाव से पहले एलजेपी को एनडीए के पाले में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस फैसले ने एलजेपी की राजनीतिक किस्मत बदल दी। इसी तरह, तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनावों में राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटों पर पहुंचाया। एक नेता तो यहां तक कहते हैं कि अगर निशांत एक दशक पहले राजनीति में शामिल हुए होते, तो वे नीतीश कुमार के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हो सकते थे। लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। हमें भविष्य के लिए निशांत कुमार को जद (यू) में लाने की जरूरत है। आपको बता दें कि निशांत नीतीश कुमार और दिवंगत मंजू सिन्हा के इकलौते बेटे हैं। वह मेसरा में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग स्नातक हैं।

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