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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की मौजूदगी में केंद्र शासित प्रदेश में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा की। आज की बैठक की खास बात यह रही कि इसमें मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को आमंत्रित किया गया। हम आपको बता दें कि पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किए जाने के बाद अब कानून-व्यवस्था सीधे केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है। पिछले दिनों जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए दो दिन लगातार बैठकें की थीं तो उसमें मुख्यमंत्री को नहीं बुलाया गया था। इस बारे में मुख्यमंत्री के सलाहकार ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि निर्वाचित सरकार के मुखिया को कानून व्यवस्था संबंधी बैठकों में नहीं बुलाया जाना गलत है। संभवतः मुख्यमंत्री की उस नाराजगी के बाद ही उन्हें इस बैठक में बुलाया गया।नॉर्थ ब्लॉक में जम्मू-कश्मीर में नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और केंद्र तथा जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष अधिकारी उपस्थित रहे। हम आपको बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने औपनिवेशिक युग की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। यह नये कानून पिछले वर्ष एक जुलाई से लागू हुए थे। अमित शाह पहले ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों में नए कानूनों के कार्यान्वयन की स्थिति की समीक्षा कर चुके हैं।

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