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दाने दाने को मोहताज मुल्क पाकिस्तान खुद तो कंगाली में डूबा है। लेकिन उसे अपने मुल्क के लोगों की जगह पड़ोस में नजर है। भारत के अभिन्न अंग जम्मू और कश्मीर को लेकर उसकी हिमाकत एक बार फिर देखने को मिली। पाकिस्तान की संसद ने बीते दिनों प्रस्ताव पारित कर नई दिल्ली से कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग की। अब इसको लेकर विदेश मंत्रालय से सवाल किया। जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि कश्मीर पर मैं जो हमारा पोजीशन है उसको फिर से रखना चाहता हूं। कश्मीर भारत का अभिन्न था है और रहेगा। इसमें कोई दो राय नहीं होना चाहिए।

अपनी ही आंखों में धूल झोंकता पाकिस्तान

पाकिस्तान की संसद ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भारत से कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की मांग दोहराई गई है। भारत सरकार पाकिस्तान की इस मांग को कई बार ठुकरा चुकी है। रेडियो पाकिस्तान की खबर के मुताबिक, कश्मीर मामलों के मंत्री अमीर मुकाम ने सदन में यह प्रस्ताव पेश किया, जिसमें कश्मीरी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए पाकिस्तान के अटूट नैतिक, राजनीतिक और राजनयिक समर्थन की पुष्टि की गई है।

 पहले भी कर चुका है ऐसी हिमाकत

ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी संसद में कश्मीरियों के समर्थन में इस तरह का प्रस्ताव पारित किया गया है। लेकिन, 18 फरवरी के प्रस्ताव का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। इसमें कहा गया है कि प्रस्ताव में बहादुर कश्मीरियों और उनके बलिदानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है; मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने का आह्वान किया गया है; हिरासत में लिए गए कश्मीरी नेताओं को रिहा करने और सभी दमनकारी कानूनों को रद्द करने की मांग की गई है। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को भारत द्वारा पांच अगस्त 2019 को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र-शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटे जाने के बाद पहले से ही तल्ख भारत-पाकिस्तान संबंधों में और गिरावट आ गई।

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