

रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा चलाए जा रहे एड-ऑन/सर्टिफिकेट कोर्स (32 घंटे) में कृषक पी. जी. कॉलेज के हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. विकास सिंह ने प्रूफ संशोधन पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रूफ संशोधन पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि प्रूफ संशोधन (Proofreading) एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो किसी भी लिखित सामग्री की शुद्धता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। इस प्रक्रिया में लेख के सभी पहलुओं, जैसे वर्तनी, व्याकरण, वाक्य संरचना, और लेखन शैली की जांच की जाती है। प्रूफ संशोधन से यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी प्रकार की त्रुटियां, जैसे टाइपिंग या ग्रामैटिकल गलतियाँ, पाठ में न हो। यह न केवल लेख की पेशेवरता को बढ़ाता है, बल्कि पाठक के लिए संदेश को स्पष्ट और प्रभावी बनाता है। विशेष रूप से शैक्षिक और शोधपत्रों में प्रूफ संशोधन अत्यधिक आवश्यक होता है, क्योंकि इससे सामग्री की विश्वसनीयता और गुणवत्ता सुनिश्चित होती है। इसके बिना, लेख की जानकारी अव्यक्त और भ्रमित हो सकती है। इसलिए, किसी भी प्रकार के लेखन में प्रूफ संशोधन को अनदेखा नहीं किया जा सकता।