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जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की हम इसे नहीं भूलेंगे चेतावनी पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। गुरुवार को नई दिल्ली ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। साथ ही भारत ने पाकिस्तान से वैध रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों को सौंपने का आग्रह किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कोई विदेशी चीज कैसे गले में अटक सकती है? यह भारत का केंद्र शासित प्रदेश है। इसका पाकिस्तान के साथ एकमात्र संबंध उस देश द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए क्षेत्रों को खाली करना है। विदेश में पाकिस्तानियों को संबोधित करते हुए मुनीर ने इससे पहले जम्मू-कश्मीर पर अपने देश के दीर्घकालिक दावे को दोहराया था, साथ ही उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का बचाव किया था, जिसके कारण 1947 में पाकिस्तान का जन्म हुआ था।असम के मुख्यमंत्री हिंमत बिस्व सरमा ने भी पाकिस्तान को जवाब देते हुए कहा कि अपने हालिया संबोधन में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने स्पष्ट रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच गहरी वैचारिक खाई पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों राष्ट्र मौलिक रूप से अलग हैं, उन्होंने कहा कि उनके धर्म, रीति-रिवाज, परंपराएं, विचार और महत्वाकांक्षाएं हर संभव पहलू में भिन्न हैं। यह दृष्टिकोण द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को पुष्ट करता है, जिसने 1947 में पाकिस्तान के निर्माण की नींव रखी। इन घोषणाओं को देखते हुए, हमारे लिए इस वास्तविकता को स्वीकार करना और पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने की आकांक्षाओं से आगे बढ़ना अनिवार्य है। रेखांकन स्पष्ट है; हमारे रास्ते अलग-अलग हैं। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने राष्ट्र को मजबूत करें, अपने धर्म को कायम रखें और अपने सभ्यतागत मूल्यों को संजोएं। ऐसा करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारे राष्ट्र का कद और प्रभाव अद्वितीय ऊंचाइयों तक पहुंचे।मुनीर ने कहा हमारा रुख बिल्कुल साफ है, यह हमारी दुखती रग थी, यह हमारी दुखती रग रहेगी। हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके वीरतापूर्ण संघर्ष में नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कश्मीर को इस्लामाबाद की गले की नस भी बताया और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान इसे नहीं भूलेगा। इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुनीर ने कहा पाकिस्तान का निर्माण मुसलमानों को हिंदुओं से अलग करने के लिए किया गया था, क्योंकि वे हर पहलू – परंपराओं, विचारों और महत्वाकांक्षाओं में भिन्न हैं। जिस पर दिल्ली की तीखी आलोचना हुई।

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