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चांद पर भी अपना आशियाना बनाएंगे। इस उम्मीद से चांद पर भारत का चंद्रयान और आगे बढ़ रहा है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर पानी और बर्फ की खोज की दिशा में अहम पड़ाव पार किया है। चंद्रयान 3 ने जो उपलब्धि हासिल की है वो बेहद अहम है। चंद्र की सतह तापीय भैतिकी प्रयोग के जरिए नई जानकारी इसरो ने साझा की है।इसके मुताबिक चांद पर पानी और बर्फ की खोज करने के एक कदम और नजदीक पहुंचा है। विक्रम लैंडर ने चांद की उच्च अक्षांश वाली मिट्टी की जांच की है, जिसमें ये उपलब्धि का पता चला है। इस प्रयोग से खास और असाधारण इन सीटू तापमान मापा गया है। इससे चांद के तापीय वातावरण के होने की संभावना जागी है। इसके साथ ही पानी और बर्फ के जमा होने की उम्मीद भी पैदा हो रही है।

इसरो की भौतिक अनुसंधान लैब से टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एक अधिकारी ने कहा कि पानी और बर्फ का पता लगाना चांद पर व्यक्ति के जीवन की संभावना को बनाए रखने और भविष्य की खोज को देखते हुए बेहद अहम कदम है। चांद के तापमान के जरिए ही पानी और बर्फ की जानकारी मिलेगी। तापमान से ही वैज्ञानिक पहलू भी प्रभावित होते है। चंद्रयान 3 मिशन से मिली जानकारी को नेचर कम्यूनिकेश अर्थ एंड एन्वायरमेंट में प्रकाशित किया गया है। जानकारी के मुताबिक चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान 82 डिग्री सेल्सियस तक था जो 330के से 25के अधिक था। 

प्रयोग के जरिए ये भी पता चला है कि 14 डिग्री से अधिक ढलान जिन इलाकों में है वहां बड़े पोलर क्षेत्रों में पानी और बर्फ स्थिर जमा हो सकती है। इस क्षेत्र में सौर विकिरण कम होता है। ये तापमान को कम रखते है। चांद पर पानी की खोज और इसके उपयोग पर सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों की नजरें भी है। इस दिशा में अब तक किसी अन्य देश को अधिक सफलता नहीं मिली है मगर इसरो के चंद्रयान 3 के प्रयोग से जो रिजल्ट सामने आए हैं वो भविष्य में अहम भूमिका निभा सकते है। आने वाले समय में इससे जुड़ा सारा डेटा भी जांचा जाएगा।

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