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मेरठ। शहर को बरासात के मौसम में जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए नगर निगम ने दो करोड़ रूपये का बजट रखा था। इस पैसे से शहर में मौजूद करीब दौ सौ छोटे-बड़े नालों को साफ भी कराया गया, लेकिन एक घंटे से भी कम हुई बरसात ने निगम के सभी दावों की पोल खोलकर रख दी। शहर की सभी मुख्य सड़के व बाजारों के साथ अन्य रिहायशी इलाके सोमवार को बरसात के पानी में डूब गए।
बतातें चले कि हर साल की तरह इस बार भी निगम ने शहर को जलमग्न होने से बचाने के लिए अच्छा-खास बजट निर्धारित किया था। जनता की गाढ़ी कमाई से टैक्स के रूप में वसूले जाने वाले फंड में से दो करोड़ रूपये केवल नालों की सफाई पर खर्च किए गए। लेकिन बरसात के मौसम में यह पैसा पानी में बह गया, इसके साथ ही निगम के सभी दावों पर भी पानी फिर गया। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, हर साल इसी तरह निगम नालों की सफाई पर करोड़ो रूपये खर्च करता है लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहता है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर नगर निगम जो पैसा नालो की सफाई पर खर्च करता है क्या वह वास्तव में जनता के हित में ही खर्च होता है या केवल कागजों में फर्जी बिल लगाकर खाना-पूर्ति कर ली जाती है।

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