- सितंबर माह में सर्पदंश के 39 मामले पहुंचे मेडिकल
मेरठ। सांप के काटने को चिकित्सा दृष्टि में आपातकालीन स्थिति माना जाता है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें विषैले सांप के काटने से शरीर में जहर प्रवेश कर जाता है और यह शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रभाव डालता है। भारत में पाए जाने वाले प्रमुख विषैले साँप कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ-स्केल्ड वाइपर हैं। डाॅक्टरों ने ऐसे ही एक विषैले सांप रसेल वाइपर के काटने के शिकार मरीज की जान बचाई। सांप के जहर में न्यूरोटॉक्सिन, हैमोटॉक्सिन या कार्डियोटॉक्सिन जैसे तत्व हो सकते हैं, जो तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रणाली और दिल पर असर डालते हैं।
22 वर्षीय प्रशांत निवासी धंपुर हापुड़ को दस दिन पहले दाहिने हाथ की तीसरी उंगली में सांप ने डस लिया था। इसके बाद उसे मेडिकल के सरदार वल्लभ भाई पटेल चिकित्सालय मे भर्ती कराया गया। जिस समय मरीज को भर्ती कराया गया उस समय उसे कई तरह की समस्याएँ जैसे बढ़ता दर्द, सूजन, लालिमा, काटने की जगह पर लगातार रक्तस्राव, चक्कर के साथ गहरी नींद थीं। युवक को मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार और डॉ विवेक कुमार ऋषि की निगरानी में भर्ती किया गया। इसके बाद उसका 22 वायल्स एंटी स्नेक बाइट वेनम और 20 फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा के साथ इलाज शुरू किया गया। इस दौरान मरीज ने मूत्र में रक्त और हाथ में तेजी से बढ़ती सूजन की शिकायत की। जिसको लेकर नेफ्रोलॉजी और सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों का परामर्श लिया गया। उनकी सलाह पर मरीज को तुरंत टेली आईसीयू में शिफ्ट किया गया जहां उसकी लगातार निगरानी की गई। 7 दिनों के बाद हाथ में सूजन कम होनी शुरू हुई। मरीज कुल 10 दिन अस्पताल में रहा और अंतिम दिन रोगी को मूत्र में रक्त समेत अन्य कोई शिकायत नहीं थी। - 39 सर्पदंश के शिकार इलाज को पहुंचे
मेडिकल कॉलेज के सवभाप चिकित्सालय ने कई सांप के काटने के मरीजों का इलाज किया है। पिछले महीने सितंबर 2025 में 39 मरीज चिकित्सालय में भर्ती हुए, जिनमें से 28 मरीजों को जहरीले सांप ने काटा, जिनमें से 7 मरीजों को न्यूरोटॉक्सिक और 4 मरीजों को वास्कुलोटॉक्सिक सांप ने काटा। सर्पदंश के के शिकार मरीजों को एंटी-स्नेक बाइट वेनम, कंजरवेटिव मैनेजमेंट और सहायक कीक देखभाल दी गई। 39 में से 35 का उपचार सफल रहा, 2 मामलों को उच्चतर केंद्र में भेजा गया और 2 मामलों में अस्पताल में देर से आने के कारण मृत्यु हो गई।
प्राचार्य डॉ आरसी गुप्ता ने मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार व डॉ विवेक कुमार ऋषि और उनकी टीम को इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएँ दी।

