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समाज विकास संस्थान द्वारा रविवार को बच्चा पार्क स्थित आईएमए हॉल में ब्जल जंगल जमीन का संरक्षण : चुनौतियां एवं समाधान विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न प्रांतो के कृषि वैज्ञानिकों, प्रख्यात चिकित्सकों, शिक्षाविदों, पंचायत प्रतिनिधियों तया प्रगतिशील किसानों द्वारा भागीदारी की गई। सर्वप्रथम समाज विकास संस्थान के निदेशक डॉ. केके तोमर ने परिचय देते हुए कहा कि संस्थान विगत 35 वर्षों से पश्चिमी यूपी के 17 जनपदों में जल संरक्षण, जैविक खेती, जलवायु परिवर्तन, किसानों की आय कैसे बढ़ाए, किसानों में निर्धन वर्ग को निःशुल्क रहा है। संस्थान द्वारा NPOF योजना के अंतर्गत 9 फरवरी 2015 को संसद की संसदीय समिति को डॉ. एमएस स्वामीनाथन के साथ जैविक कृषि को कैसे बढ़ाए विषय विषयक संबोधित किया गया था। कार्यक्रम में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आप पर नगर आयुक्त मेरठ मंडल अमित कुमार ने कहा कि नीति आयोग के समग्र जल प्रबंधन सूचना की माने तो भारत के करीब 600 मिलियन से अधिक लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे है। रिपोर्ट में इस बात का भी अंदेशा है कि साल 2030 तक भारत में पानी की मांग उपलव्य आपूर्ति की तुलना में दोगुनी हो जाएगी। अगर समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो धरती लायक योग्य नहीं रहेगी। शोभित विश्वविद्यालय के कुलपति इश्स. विनोद कुमार त्यागी ने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने का नतीजा है कि जलवायु परिवर्तन का खतरा विश्व में तेजी से से बढ़ता जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. प्रबुद्ध गोयल ने कहा कि यदि समय रहते कृषि में रसायनों का प्रयोग नहीं घटाया गया तो परिणाम भयानक होंगे। डॉ. अलका तोमर ने सभी से वृक्षों का अधिक का अधिक रोपण एवं संरक्षण करने की अपील की। मेरक बार एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र सिंह राणा और डॉ. ज्योति गौड़ ने कहा कि पूरे देश में वनों का कटान तेजी पर है। जिसके परिणाम स्वरूप वायुमंडल का संतुलन असंतुलित होता जा रहा है। इस दौरान कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रतिमा गुप्ता, शिवानी फोगाट, डॉ. चंद्रमौली, डॉ. तुष्टि शर्मा, डॉ. ज्योति गौड़, राजा कुमार, डॉ. लिखा विष्ट, डॉ. पूजा मनकर, डॉ. जूही अग्रवाल आदि ने अपने लेख प्रस्तुत किए।

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