मेरठ। चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य मिशन इंडिया के सहयोग से आत्महत्या रोकथाम के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें चेतावनी संकेतों की समझ और निवारक उपाय विषय पर इंटरएक्टिव कार्यक्रम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम छात्रावास में हुआ।
कार्यशाला का उद्देश्य छात्रावास में रह रहे छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना और आत्महत्या के संभावित चेतावनी संकेतों की पहचान करना था। मुख्य वक्ता के रूप में आरसीआई लाइसेन्ड साइकोलॉजिस्ट नीतू सैनी रहीं जिन्होंने बताया कि आत्महत्या करने के बाद केवल व्यक्ति ही नहीं जाता, बल्कि पूरा परिवार और समाज कलंकित होता है। आत्महत्या करके व्यक्ति सोचता है के उसको दर्द से छुटकारा मिल गया, जबकि वो पूरे समाज को एक ऐसा उदाहरण देकर जाता है जो मानवता को कलंकित करता है। इसलिए कभी यदि किसी को रात में नींद न आए, निराशा महसूस हो, नशे का सेवन करने का मन करे, खाने का पैटर्न बदल जाए, खुद को कमरे में बंद करने लगे या सुसाइड के विचार आने लगें तो उनको मनोवैज्ञानिक सलाह लेनी चाहिए। मुख्य छात्रावास अधीक्षक प्रो दिनेश कुमार ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कार्यक्रम विद्यार्थियों की जिंदगी को कई तरीके से नए आयाम दे सकते हैं, इसलिए इनमें भागीदारी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी जिंदगी के हर फेस में परेशानियां तो आएंगी ही परं हर बार नए तरीके से परेशानियों से बाहर निकलने के तरीके खोजने चाहिए। छात्रावास अधीक्षक इंजीनियर प्रवीण कुमार ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए हमें परिस्थिति और मनःस्थिति के बीच सामंजस्य बिठा के रखना चाहिए तभी हम खुश रह सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन एमएचएम इंडिया की काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट प्रिया पाल व सोफिया ने किया। इस दौरान सहायक छात्रावास अधीक्षक डा लक्ष्मी शंकर सिंह, डा गौरव त्यागी, विजय कुमार राम और कार्यालय सहायक मनी सिंह, भवेंद्र, मुन्नी, इमरान, सबलू कुमार व मनोज पंत सिंह उपस्थित रहे।


