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विजया एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत के प्रभाव से भक्तों की सभी बाधाएं दूर हो जाती है तो आइए हम आपको विजया एकादशी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें विजया एकादशी व्रत के बारे में 

विजया एकादशी का अर्थ ही है ‘विजय’। पंडितों के अनुसार इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का नाश होता है और भक्त सफलता प्राप्त करता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर विजय पाने के लिए इसी व्रत का पालन किया था। इसलिए इस एकादशी का महत्व और भी बढ़ जाता है।

विजया एकादशी का व्रत हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। हालांकि विजया एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। यह नियम व्रत की पवित्रता और भगवान की कृपा प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं।

विजया एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा भी है खास 

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि, लंका विजय के लिए जब भगवान राम सागर तट पर वानर सेना के साथ पहुंचे तब उनके सामने सबसे बड़ी चिंता यह थी कि वह सेना सहित सागर पार कैसे करें। ऐसे में लक्ष्मणजी ने भगवान राम को संबोधित करते हुए कहा कि हे प्रभु आप सबको जानते हुए भी जो यह मानवीय लीला कर रहे हैं उस कारण से आप इस छोटी समस्या को लेकर चिंतित हैं। आपकी चिंता को दूर करने के लिए आपसे निवेदन करता हूं कि आप यहां पास में ही निवास करने वाले ऋषि बकदाल्भ्य से मिलें। ऋषि यहां से आगे का मार्ग सुझा सकते हैं। लक्ष्मणजी के अनुनय पूर्ण वचनों को सुनकर भगवान राम बकदाल्भ्य ऋषि के पास गए। ऋषि को अपनी सारी परेशानी बताई और कोई मार्ग सुझाने के लिए कहा। ऋषि ने बताया कि आप सेना सहित फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सेना सहित भगवान नारायण की पूजा करें। यह विजया नाम की एकादशी ही आपको आगे ले जाने का मार्ग बनाएगी।

जानें विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त

इस साल विजया एकादशी का पर्व 24 फरवरी 2025 को मनाया जाएगा। एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी दोपहर 1:55 बजे और 24 फरवरी दोपहर 1:44 बजे समाप्त होगी। उदयकाल के आधार पर, व्रत और पूजा का शुभ मुहूर्त 24 फरवरी को रहेगा।

विजया एकादशी पर न करें ये कामइस दिन चावल का सेवन न करें- इस दिन चावल और चावल से बने खाद्य पदार्थों का सेवन निषिद्ध है। पंडितों के अनुसार विजया एकादशी के दिन चावल खाने से माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और व्रत का प्रभाव भी कम हो जाता है।

तुलसी के पौधे को नुकसान न पहुंचाएं- विजया एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते या मंजरी तोड़ना अशुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करें लेकिन पत्तों को न छुएं। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।

काले रंग के वस्त्र न पहनें– विजया एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इसके स्थान पर, पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। पीला रंग भगवान विष्णु का प्रिय है और यह शुभता का प्रतीक है।

विजया एकादशी पर करें ये काम

भगवान विष्णु की पूजा- विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के समक्ष दीप जलाएं, उन्हें फल, फूल और तुलसी अर्पित करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।

निर्जल या फलाहार व्रत- भक्त अपने सामर्थ्य अनुसार निर्जल व्रत या फलाहार व्रत रख सकते हैं। फलाहार में फल, दूध और सूखे मेवे का सेवन किया जा सकता है।

सात्विक आहार- यदि व्रत नहीं रख रहे हैं, तो भी इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करें। प्याज, लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का त्याग करें।

यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को दुखों से मुक्ति प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। साथ ही माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है। हालांकि विजया एकादशी का व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। यह नियम व्रत की पवित्रता और भगवान की कृपा प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं।

विजया एकादशी पर करें इन वस्तुओं का दान 

वस्त्र और धन 

विजया एकादशी के दिन धन और कपड़े का दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति को जरूर करें। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति को अपार धन-दौलत का सौभाग्य प्राप्त होता है और सभी रोग-दोष भी दूर होते हैं।

चावल 

विजया एकादशी पर चावल या अन्न का दान बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन चावल का दान करने से जीवन की सभी दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं।

तिल 

इस दिन काले तिल का दान करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इसके साथ ही कुंडली से शनि का बुरा प्रभाव कम होता है।

जानें विजया एकादशी व्रत के लाभ के बारे में 

– कार्यों में मिलती है सफलता

– पापों का होना है नाश

– पुण्य में होती है वृद्धि

– सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार

– मिलती है मानसिक शांति

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