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भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आगरा में निजी बिजली कंपनियों पर 40 लाख रुपये तक का बकाया बिजली बिल भेजकर किसानों को लूटने का आरोप लगाया। एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने सरकार से इन बिलों को माफ करने का आग्रह किया और मांग पूरी नहीं होने पर विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी। टिकैत ने आलू के लिए कोल्ड स्टोरेज किराए में बढ़ोतरी पर भी चिंता जताई और कहा कि इससे किसानों पर बोझ पड़ रहा है। टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून से आगरा और आसपास के क्षेत्रों में आलू और सरसों किसानों को फायदा होगा। उन्होंने सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अधिकारी सर्किल रेट बढ़ाए बिना जमीन का अधिग्रहण कर रहे हैं, जिसे वह अनुचित मानते हैं। इसके अलावा राकेश टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन का आह्वान किया। नगरपालिका मैदान में सभा को संबोधित करते हुए टिकैत ने किसानों से अपनी जमीन न बेचने और परिवार के कम से कम एक सदस्य को आंदोलन के लिए तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर प्रत्येक परिवार दस दिन आंदोलन के लिए और बीस दिन खेती के लिए समर्पित करता है तो उनकी जमीन सुरक्षित हो जाएगी।’’ टिकैत ने दावा किया कि बिहार में किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘पूरे देश में पॉपकॉर्न के लिए इस्तेमाल होने वाला मक्का बिहार में पैदा होता है, लेकिन वहां के किसानों को केवल 12-14 रुपये प्रति किलो का भाव मिलता है। यही कारण है कि कई किसान बिहार छोड़कर मजदूरी के लिए पलायन कर गए हैं।’’ उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसान संगठित रहेंगे, तब ही किसान सुरक्षित रहेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में मंडियों को खत्म करना, इसके लिए जिम्मेदार है और आगाह किया कि एक नई नीति से देशभर में मंडियां धीरे-धीरे बंद हो सकती हैं। टिकैत ने आरोप लगाया, ‘‘उनकी योजना मंडी की जमीन को 500 से 1,000 वर्ग मीटर के भूखंडों के तौर पर 99 साल के लिए पट्टे पर देने की है। अगर ऐसा हुआ तो 10-15 साल में मंडियां खत्म हो जाएंगी।’’ उन्होंने किसानों से उदासीन रवैये वाले अधिकारियों के खिलाफ विरोध करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई अधिकारी आपकी चिंताओं का समाधान नहीं करता है तो उनके कार्यालय पर 72 घंटे का धरना दें।

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