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मेरठ। पीवीवीएनएल यानी पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में भ्रष्टाचार चरम पर है। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही विभाग को चूना लगाने पर तुले है। वहीं, भ्रष्टाचार के खिलाफ जो भी आवाज उठाता है तो आरोपी अधिकारी व कर्मचारी उसके खिलाफ ही अपने उच्चाधिकारियों को शिकायत कर उसका मानसिक उत्पीड़न करते है। यहां तक की पूर्व सैनिकों को भी नहीं बख्शा जाता।
सेना से रिटायर्ड आॅनरनी कैप्टन सुरेश कुमार ने बताया कि वह रिटायर होनें के बाद बिजली विभाग में एसएसओ यानी सब स्टेशन आॅपरेटर के पद पर काम करने लगे। इस दौरान उन्हें पता चला कि विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ही विभाग को चूना लगा रहें है। बिना किसी पूर्व सूचना के तांबे के तारों को काटकर बेचने की कोशिश की गई जब उन्होंने इसका विरोध किया तो विभाग के अधिकारियों ने उनका मानसिक उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ। भ्रष्टाचार में लिप्त विभाग के कर्मचारी बिना किसी पूर्व सूचना कि सुबह के समय शट्डाउन लेकर तांबे के तारों जिनकी कीमत लाखो रूपय है उतरवाते है और उसे बाजार में बचने की कोशिश की गई। इसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता नरेश शर्मा ने विभाग की मुखिया एमडी पाॅवर ईशा दुहन से की। जब यह बात एक अन्य अधिकारी को पता चली तो उन्होंने तांबे के तारों से लदी जो गाड़ी कबाड़ी को भेजी थी उसे वापस मंगवा लिया। इसके बाद एमडी ने प्रकरण में जांच के आदेश जारी कर दिये। इसके आद आरोपी अधिकारी खुद संबंधित बिजली घर पर पहुंचे और लाॅगशीट में ओवर राइटिंग कर शट्डाउन का समय बदल दिया। सुरेश कुमार ने बताया कि जिस बिजली घर की यह घटना है उसपर तीन रिटायर्ड फौजी तैनात है। घटना के बाद एक अधिकारी खुद बिजली घर पहुंचे और शट्डाउन की लाॅग बुक में छेड़छाड़ की।
बड़ा सवाल यह कि बिजली विभाग के जो अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं उनके खिलाफ विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है। कहीं यह मौजूदा राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश तो नहीं।

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