

इस साल 14 मार्च को होली के दिन चंदग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि, यह चंदग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। विदेशों में चंद्र ग्रहण देखा जाएगा। इसलिए भारत में किसी प्रकार का सूतक पातक दोष नहीं माना जाएगा। ज्योतिष के अनुसार, यह ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण लगने से कई ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होते हैं। धार्मिक नजरिए से देखा जाए तो चंद्र ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। ज्योतिष विद्या के अनुसार, ये ग्रहण केतु के कारण लगने वाला है। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है। इतना ही नहीं, कुछ लोगों को मानना है कि जब राहु और केतु चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है। वैज्ञानिक की दृष्टिकोण से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा में आ जाते हैं, तो इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है लेकिन चंद्रमा पर नहीं पड़ता है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहते हैं।
चंद्र ग्रहण का समय
14 मार्च को होली के दिन भारतीय समयनुसार, दिन में 10.39 से दोपहर 2.18 तक विदेशों में खग्रास चंद्र ग्रहण पड़ेगा। भारतीय समय के अनुसार, इसका विरल छाया प्रवेश सुबह 9.27 पर होगा। ग्रहण का स्पर्श दिवाकाल 10.40 पर होगा। ग्रहण का मध्य दिवाकाल 12.29 पर होगा। ग्रहण को मोक्ष दिवाकाल दोपहर 2.30 पर एवं विरल छाया निर्गम दोपहर 3.30 पर होगा।
इन देशों में दिखाई देगा चंद्र ग्रहण
चंद्र ग्रहण को पेसिफिक सागर, उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको, ग्रीनलैंड, पनामा, पेरु, उरुग्वे, ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, पश्चिम यूरोप, पश्चिम में आयरलैंड, ब्रिटेन, नॉर्वे, स्वीडन, पश्चिमी पोलैंड, फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल, जर्मनी, इटली, अफ्रीका, मोरक्को, अल्जीरिया, घाना, नाइजीरिया, लीबिया, उत्तरी अटलांटिक सागर व दक्षिणी अटलांटिक सागर, पूर्वी रूस में देखा जा सकेगा।